अतीत,वर्तमान और भविष्य में हुआ एक दिन कुछ ऐसा वार्तालाप। वर्तमान ने सराहा अतीत को,माना हर गुजरे पलों के थे बेहतर सारे क्रियाकलाप।। अतीत,जब तुम चले जाते हो,तब पता चलती है कीमत तुम्हारी। क्यों नही जीये वो पल हमने,करते हो आज तुम जिनपर सवारी।। जीवन मे बीता हर पल बन जाता है एक दिन इतिहास। होगा तभी गर्व उस इतिहास पर हमको,गर जीवन में करेंगे कुछ खास।। फिर कहा अतीत ने वर्तमान से,मत करो पछतावा गुजरे कल का,सीखो अपने आज को खुल कर जीना। न करो वर्तमान में मुझ पर पछतावा और भविष्य की अति चिंता,फिर गमों को नही पड़ेगा पीना। अतीत की सीख ने दी वर्तमान को शिक्षा ऐसी, नज़रिया उसका बदल डाला। भविष्य भी हो जाएगा स्वतः उज्ज्वल,व्यर्थ में गर चिंता का कीड़ा न पाला।। सुन अतीत और वर्तमान की बातें,भविष्य मन ही मन मंद मंद मुस्काया। जब ये जानते ही नही क्या छिपा है गर्त में मेरे,क्यों व्यर्थ ही अपना समय गंवाया।। सही समय पर सही कर्मों को,क्यों नही इंसा ने जीने का आधार बनाया। सुख,समृद्धि,यश,कीर्ति आ जायेगी स्वतः ही,क्यों इंसा ये समझ नही पाया।। किस सन्दर्भ में कब किसको कैसी होती है अनुभूति,प्रभु की है अजब अनोखी माया। कू...