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मां का स्नेह मां का प्रेम अतुलनीय

माँ के प्यार को शब्दों में व्यक्त करना बहुत मुश्किल है! दुनिया में माँ से ज़्यादा प्यार कोई और कर ही नहीं सकता जीवन की राह में आने वाली सभी बाधाओं को हटाती है माँ  माँ हमारे बारे में सब कुछ जानती है पर सब कुछ हमेशा ही बताती नहीं मां …  बिना कुछ कहे ही क्या चाहिए.. माँ समझ जाती है  यथासंभव हर कोशिश कर के मुस्कान लबों पर लाती है हमें खुश करते करते भले ही खुद उपेक्षित हो जाती है हमारे शौक और सपनों के आगे अपनी जरूरतें भी जमीदोज किए जाती है माँ बिना थके हम सब बच्चों की इच्छा पूरी करना चाहती थी  पढ़ा लिखा कर एक अच्छा इंसान बनाना चाहती थी और हमेशा ख़ुश देखना चाहती थी हमें ..  माँ से ही वजूद हैं हम सब भाई बहनों का ..  कुछ भी कहना कम है मां के लिए भाव कम और अल्फाज छोटे पड जाते हैं अपने पर्याय मां को ईश्वर हमारे  लिए धरा पर लाते हैं चूल्हे की जलती रोटी सी तेज आँच में जलती माँ ! सिर पर रखे हुए पूरा घर अपनी – भूख -प्यास से ऊपर , घर को नया जन्म देने में धीरे -धीरे गलती माँ ! सब दुनिया से रूठ रपटकर जब मैं बेमन से सो जाती  हौले से वो चादर खी