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सबसे बड़ी दौलत परिवार

*सबसे बड़ी दौलत परिवार* मानो चाहे या ना मानो, प्रेम ही इस नाते का आधार।। धूप हो या छांव हो, संग खड़ा होता है परिवार *परवाह,प्रेम,समर्पण, ईमानदारी और विश्वाश* इन्हीं मसालों से प्रेम साग बनता है खास।। खास से अति खास के सफर का सच्ची निष्ठा से मिलता है उपहार। *कनेक्टिविटी* ही किसी भी परिवार का होता सच्चा अलंकार। *सबसे बड़ी दौलत परिवार* एक अच्छे परिवार में, जिम्मेदारी संग मिलते हैं अधिकार।। *आदि से अंत तक साथ चलता है परिवार* जिंदगी के उतार चढ़ाव में, परिवार बन जाता है पतवार।।

जिम्मेदारी

हर बचपन का

जो जीवन हम नही दे सकते

बात मन की

What is mother's love for her child

माँ केवल माँ नही होती,माँ होती है हक़ और अधिकार सहजता ,उल्लास,पर्व है माँ,माँ जीवन को देती है संवार जिजीविषा है माँ,उमंग है माँ,एक माँ ही तो करती है इंतज़ार हर रिश्ते से भारी पड़ता है माँ का रिश्ता,चाहे करो या न करो स्वीकार पतंग है जीवन तो डोर है माँ,सबसे उजली भोर है माँ माँ है तो जाने का बैग भी झट से हो जाता है तैयार अब चिढ़ाता है किसी कोने में पड़ा हुआ,नही होंगे कभी माँ के दीदार मन में तो सदा बसी रहोगी माँ,सच थी कितनी तुम समझदार भांति भांति के मोतियों से बनाया माँ तूने कितना अद्भुत  कितना प्यारा, जीने का सहारा प्रेमहारमाँ केवल माँ नही होती,माँ होती है हक़ और अधिकार सहजता ,उल्लास,पर्व है माँ,माँ जीवन को देती है संवार जिजीविषा है माँ,उमंग है माँ,एक माँ ही तो करती है इंतज़ार हर रिश्ते से भारी पड़ता है माँ का रिश्ता,चाहे करो या न करो स्वीकार पतंग है जीवन तो डोर है माँ,सबसे उजली भोर है माँ माँ है तो जाने का बैग भी झट से हो जाता है तैयार अब चिढ़ाता है किसी कोने में पड़ा हुआ,नही होंगे कभी माँ के दीदार मन में तो सदा बसी रहोगी माँ,सच थी कितनी तुम समझदार भांति भांति के मोतियों से बनाया माँ तूने कितन...

प्रतिक्रिया

अधिकार

नहीं कोई अधिकार

ज़िम्मेदारियां

व्यवहार। thought by snehpremchand

कई बार जिन पर हम अपना पूरा अधिकार समझने लगते हैं ,वे बेगानों की तरह व्यवहार करने लगते हैं,फिर कुछ समझ सा नही आता।