Skip to main content

Posts

Showing posts with the label अपनत्व की अखंड ज्योत

कैसी होती हैं बहनें???? (((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)))

कैसी होती हैं बहनें????? बहुत ही अपनी,बहुत ही प्यारी होती हैं बहनें। प्रेम की स्याही से अपनत्व का ग्रंथ लिखती हैं बहनें।। भाई बहन के सबसे लंबे रिश्ते को स्नेह से निभाती हैं बहनें। दुश्मनी का दलदल प्रेमाग्नि से सुखाती हैं बहनें। द्वेष का दावानल,  प्रेमजल से बुझाती हैं बहनें। कलह का कीचड़ हटा सौहार्द का कमल खिलाती हैं बहनें। कटुता की कालिख मिटा कर मधुरता का तिलक लगाती हैं बहनें। नफरत के कांटे हटा कर, सदभाव के सुमन खिलाती हैं बहने। ईर्ष्या,द्वेष की दुर्गंध हटा कर, सहिष्णुता की सुगंध फैलाती हैं बहने। नफरत की आँधी को प्यार से रोक देती हैं बहने। अपनत्व की अखण्ड ज्योत जलाती हैं बहने। प्रेममण्डप में अपनत्व का अनुष्ठान हैं बहने। स्नेह की कावड़ में मीठे रिश्ते का मधुर सा  जल हैं बहने। विनम्रता की अँखियों में करुणा का काजल हैं बहने। प्रेम गगन में सहजता की बारिश हैं बहनें। सरलता और सहजता की झंकार हैं बहनें। निष्ठा की कड़ाही में प्रेम का छौंक हैं बहनें। मुसीबत की घड़ी में सच्ची परछाई हैं बहनें। प्रेम की मटकी में करुणा का माखन हैं बहनें। विश्वास की सब्ज़ी में आस का हरा धनिया हैं बहने...