वही दीवाली,वही है होली(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)) March 30, 2022 अपने हों जब संग अपनों के, वही दीवाली और वही है होली। *प्रेम से बड़ा कोई रंगरेज नहीं* प्रेम रंग से ही सजता है हर इंद्रधनुष और हर रंगोली।। प्रीत की ऐसी लगी लगन है, मैं तो अपनों की होली,होली,होली।। Read more