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साहित्यकार

उऋण thought by snehpremchand

शहीद तो अपनी  माटी का ऋण चुका कर जाता है, परन्तु हम कभी भी शहीद और माटी के ऋण से उऋण नहीं हो सकते।।                 Snehpremchand

साहित्यकार

मर कर भी कभी नही मरता एक साहित्यकार, फ़िज़ां में महकती रहती है उसके लेखन की महक,आगामी पीढियां भी करती रहती हैं  साक्षात्कार।।