चाह May 19, 2020 चाह नही मुझे धन दौलत के ढेरों मिल जाएं अम्बार चाह नही मुझे घूमने को मिल जाये पूरा संसार चाह नही मुझे छप्पन भोगों का भोज परोसा जाए चाह तो बस एक इतनी सी है कोई भूखा, नंगा,गरीब बेचारा गरीबी से ही न मारा जाए।। Read more