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कर जोड़(( अरदास स्नेह प्रेमचंद द्वारा 5/8/24))

कर जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास, 8बरस आज बीत गए, आज ही के दिन प्रभु ने निज धाम में दिया था माँ को वास, तन बेशक नही है बीच हमारे, पर दैदीप्यमान है हर अहसास, मा का नाता था,है,रहेगा जग में सबसे खास।। माँ से न कोई हुआ है,न कोई होगा,चाहे करलो कितने ही प्रयास, यूँ ही तो माँ को जग में कहा जाता है अति खास।। कर्मों की स्याही से सफलता का ग्रंथ मां तूने सच मे रच डाला, अहसासों में सदा रहेगी तूँ,तूने कैसे कैसे होव हम सबको पाला, माँ तूँ दिनकर हम जुगुनू हैं, हम तन तो तूँ है श्वास, सच मे तूँ है नही जग में, होता ही नही ये आभास।। माँ तूँ ऐसी पावन गंगा,गंगोत्री से गंगासागर तक किया अदभुत सफर, मेहनत का ऐसा बजाय शंखनाद, आनेवाली पीढ़ियां भी करेंगी कदर।। तूँ कहीं नही गई हमारे अहसासों में होता है तेरा अहसास, सोच,कर्म,कार्यशैली में तूँ है,लगता हरदम रहती है पास।। कर जोड़ हम कर रहे परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।।

कर जोड़

कर जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास, मिले शांति पा की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि पा को, वो नही हैं, हो ही नही पाता अहसास, एक ही नाम था,एक ही काम था,कितना सुखद था उनके होने का आभास।। 12 बरस बीत गए, उनको हमसे बिछड़े हुए, कल की ही तो बात लगती है, आते है याद कभी हँसते हुए, कभी बिगड़े हुए।। जो बीत गया है वो दौर न आएगा, इस दिल के माँ बाप के स्थान पर कोई और न आएगा।। समय पंख लग कर उड़ गया, हम लगाते ही रह गए कयास, झटका सा लगता है सोच कर , पापा  नही हैं हमारे पास।। इस दिवंगत आत्मा को मिले शांति,आज उनके जन्मदिन का है यही उपहार, कितने अच्छे थे वो दिल के, बेशक थोड़ा कम करते थे इज़हार।। सब्ज़ी में नमक जैसे, मिठाई में मिठास जैसे माँ बाप का होता है प्यार, जब होते हैं तो सब सहज सामान्य सा लगता है, नही होते तब लगता है क्या अनमोल खो दिया, करते हैं सही में स्वीकार।। हौले हौले बरस बीत गए 12 जिंदगी का सफर रहा जारी कर्मों से मानी ना हार कभी बेशक जाने की आ गई थी बारी वो बाजरे की खिचड़ी वो लहुसन का छौंक वो मिस्सी रोटी वो जग भर का दूध एक दौर था ऐसा जो आज भी ज...

कर जोड़(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कर जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास। मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास, 6 बरस आज बीत गए, आज ही के दिन प्रभु ने निज धाम में दिया था माँ को वास। तन बेशक नही है बीच हमारे, पर दैदीप्यमान है हर अहसास।। मा का नाता था,है, रहेगा जग में सबसे खास।। माँ सा न कोई हुआ है,न कोई होगा, चाहे करलो कितने ही प्रयास।। यूँ ही तो माँ को जग में  कहा जाता है अति खास।। कर्मों की स्याही से सफलता का ग्रंथ मां तूने सच मे रच डाला। अहसासों में सदा रहेगी तूँ, तूने कैसे कैसे होगा हम सबको पाला।। माँ तूँ दिनकर हम जुगुनू हैं, हम तन तो तूँ है श्वास। सच मे तूँ है नही जग में, होता ही नही ये आभास।। माँ तूँ ऐसी पावन गंगा, गंगोत्री से गंगासागर तक किया अदभुत सफर। मेहनत का ऐसा बजाय शंखनाद, आनेवाली पीढ़ियां भी करेंगी कदर।। तूँ कहीं नही गई हमारे अहसासों में होता है तेरा अहसास। सोच,कर्म,कार्यशैली में तूँ है, लगता हरदम रहती है पास।। कर जोड़ हम कर रहे परमपिता से  यह अरदास। मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। 6 बरस बीत गए खरामा खरामा लगती है, है, यहीं कहीं ...

कर जोड़ हम कर रहे

 जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास। मिले शांति माँ की पावन आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास। कर्म की हांडी में सदा, माँ मेहनत की भाजी बनाया करती । प्रेम का उस मे छोंक लगा कर हमे परोस परोस कभी न थकती। प्रेम से ही होता आया है घर,परिवार, समाज,देश,विश्व का विकास।। माँ बहुत कुछ सिखा गयी हमको, उसके कर्म ही उसके व्यक्तित्व का करा देते है आभास ।। बेशक तन तो माँ का आज नही है हमारे पास। पर हैं तो वो हर लम्हे में हमारे,माँ सच मे ही थी कुछ खास।। सोच में है,विचारों में है,कार्यशैली में है है कोई शाम ऐसी,जब माँ न ही हमारे पास। कर जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यही अरदास। जहाँ भी हो,मिले शांति माँ को,माँ शब्द से ही अंतरात्मा की बुझ जाती है प्यास।

A tribute to Lata Mangeshker श्रद्धांजलि by Sneh प्रेमचंद

करबद्ध हम कर रहे, परम पिता से यह अरदास। मिले शांति स्वर कोकिला की  दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमरा प्रयास।। सत्यम,शिवम,सुंदरम रहा सदा संगीतमय संसार आपका, व्यक्ति नहीं,पूरी संस्था रूप में  आपका रहा सदा विकास। त्याग,तपस्या,समर्पण,साधना,संयम,  सतत रियाज रहा परिचय आपका, व्यक्तित्व रहा आपका बड़ा खास।। कब है बदल जाता है था में, हो ही नहीं पाता अहसास। माटी मिल गई माटी में, हैं सबके इस जग में गिनती के श्वास।। रह कर भी महकी,ना रह कर भी महकेंगी आप सदा, दें निज धाम में मां शारदा,आपको वास।।          स्नेह प्रेमचंद  

कर जोड़

कर बद्ध

करबद्ध

करबद्ध हम कर रहे परमपिता से ये अरदास,मिले शांति पा की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास,दस बरस कैसे बीत गए, लगता है जैसे हो कल की हो बात,थे पिता जी संग हमारे,थे सुंदर हर दिन और रात,समय बीत जाता है पंख लग कर, जाने वाला जग से चला जाता है,पर जेहन से नही जा सकते कुछ ख़ास अपने,ज़िक्र उनका सुकून सा लाता है,सहजता सी खो जाती है,तन्हाई शोर मचाती है,जब याद किसी की आती है,और ये याद जब माँ बाप की हो,तो रूह तड़फ सी जाती है,और अधिक नही आता कहना,पा आपका होना ही था जीवन में खास,करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यही अरदास।।

वो कब कहां हैं जाते

कर बद्ध

श्रद्धांजलि

कर जोड़

आते ही याद अक्सर

याद आते हो अक्सर

करबद्ध

अरदास

करबद्ध thought by sneh premchand

करबद्ध हम कर रहे परमपिता से ये अरदास,मिले शांति पा की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास,पाँच बरस कैसे बीत गए, लगता है जैसे हो कल की हो बात,थे पिता जी संग हमारे,थे सुंदर हर दिन और रात,समय बीत जाता है पंख लग कर, जाने वाला जग से चला जाता है,पर जेहन से नही जा सकते कुछ ख़ास अपने,ज़िक्र उनका सुकून सा लाता है,सहजता सी खो जाती है,तन्हाई शोर मचाती है,जब याद किसी की आती है,और ये याद जब माँ बाप की हो,तो रूह तड़फ सी जाती है,और अधिक नही आता कहना,पा आपका होना ही था जीवन में खास,करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यही अरदास