पत्ता thought by snehpremchand June 04, 2020 हर पत्ता अलग होना चाहता है शाख से, अजब गजब सी चली बयार। मात्र बीबी बच्चों तक सीमित हो गया परिवार।। क्यों नहीं आती समझ बात ये सीधी सी, बिन ज़िम्मेदारी नहीं मिलते कभी अधिकार।। एक और एक होते हैं ग्यारह,इसी सोच से पोषित होते हैं परिवार।। Snehpremchand Read more