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Showing posts with the label अहसास

अभिव्यक्ति

हर अहसास को कह नहीं पाते

गलती

खुद पिता बन कर

जरूरी

खुशी

सुविचार,,,,,ख़ुशी नही मिलती भीतर से,ख़ुशी है भीतर का अहसास,कोई तो कुटिया में भी खुश है,किसी को महल भी नही आते रास,एक इच्छा पूरी होने पर जन्म ले लेती है दूसरी इच्छा,भीतर से हम हो जाते है उदास,धन दौलत नही पैमाना खुशियों का,कर सकती है ख़ुशी निर्धन के घर भी वास

खुशी

कुदरत

अभिव्यक्ति

ज़रूरी तो नहीं

दूर या पास

आई सुंदर भोर

नैतिक जिम्मेदारी

धन्य हो जाती है लेखनी

रोज पहन मां तेरा स्वेटर

अपराधबोध

लम्हा लम्हा

सरगम

कहीं नहीं जाते मात पिता

सच में उड़ गया (थॉट बाय स्नेह प्रेमचंद)