*हौले हौले शनै शनै* दिन,ये एक दिन आ ही जाता है। कार्यक्षेत्र से हो निवृत्त इंसा, लौट फिर घर को आता है।। ज्वाइनिंग से रिटायरमेंट तक इंसा पल-पल बदलता जाता है। जाने कितने ही अनुभव तिलक जिंदगी भाल पर लगाता है।। कभी खट्टे कभी मीठे अनुभव, हर एहसास से गुजरता जाता है। हर घड़ी रूप बदलती है जिंदगी धीरे धीरे समझ में आता है।। जीवन की इस आपाधापी में पता ही नहीं चलता, कब आ जाता है समय रिटायरमेंट का, व्यक्ति यंत्रवत सा चलते जाता है।। जिम्मेदारियों के चक्रव्यूह में घुस तो जाता है अभिमन्यु सा, पर बाहर निकलना उसे नहीं आता है।। *शो मस्ट गो ऑन* इसी भाव से आगे बढ़ता जाता है।। शिक्षा, शादी,बच्चे,परवरिश, जिम्मेदारी मात-पिता की, सब हंसते हंसते सहज भाव से निभाता है। *कुछ बंधन भी होते हैं मीठे* इन बंधनों में बधने में आनंद ही उसको आता है।। पल, पहर,दिन,महीने, साल बीत कर एक दिन यह दिन आ ही जाता है। कार्यक्षेत्र में कार्यकल हो जाता है पूरा, समय अपना डंका बखूबी बजाता है।। हौले हौले, अनेक अनुभव अपने आगोश में समे...