Skip to main content

Posts

Showing posts with the label आज भी

अपराधी कौन

पांचाली thought by sneh premvhand

आज भी सिसक रही है पांचाली मौत भी कम है घर लेना हो प्रतिशोध। जब भी रोती है पांचाली, लागे कलंकित गांधारी की गोद।। भरी सभा मे केश खींच कर  दुशाशन पांचाली को केशों से घसीट कर लाया। आज भी इतिहास उस नासूर के घाव को नही भर पाया,नही भर पाया,नही भर पाया।। अब और कोई द्रौपदी न यूँ  सिसके सोच पांचाली की पीड़ा हिया प्रेमवचन का भर आया।।

सिसकना thought by sneh premchand

आज भी सिसक रही है पांचाली मौत भी कम है घर लेना हो प्रतिशोध। जब भी रोती है पांचाली, लागे कलंकित गांधारी की गोद।। भरी सभा मे केश खींच कर  दुशाशन पांचाली को केशों से घसीट कर लाया। आज भी इतिहास उस नासूर के घाव को नही भर पाया,नही भर पाया,नही भर पाया।। अब और कोई द्रौपदी न यूँ  सिसके सोच पांचाली की पीड़ा हिया प्रेमवचन का भर आया।।

सिसकना

आज भी सिसक रही है पांचाली मौत भी कम है घर लेना हो प्रतिशोध। जब भी रोती है पांचाली, लागे कलंकित गांधारी की गोद।। भरी सभा मे केश खींच कर  दुशाशन पांचाली को केशों से घसीट कर लाया। आज भी इतिहास उस नासूर के घाव को नही भर पाया,नही भर पाया,नही भर पाया।। अब और कोई द्रौपदी न यूँ  सिसके सोच पांचाली की पीड़ा हिया प्रेमवचन का भर आया।।

Poem on mother by sneh pemchand मुस्कान

आज भी अक्सर ख्यालों में आती है तेरी मोहक मुस्कान, माँ सच मे ही तेरा अस्तित्व था हमारा अभिमान।। एक नाम तेरा लेने में सिमट जाता है पूरा जहांन, यूँ ही तो नही थे तेरे इतने प्यारी माँ इतने कद्रदान।।             Sneh premchand