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चल उठ लेखनी,रच इतिहास((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

चल उठ लेखनी आज लिख दे कुछ ऐसा, बन जाये जो इतिहास। आज के दिन जो आये थे धरा पर, हैं सच मे वो हमारे बहुत ही खास।। प्रेमवृक्ष की ये नन्ही डाली बड़े नाज़ों से  है हमने पाली।। रोहिल्लास और कुमार्स  का  गर्व है ये बहुत ही खास उल्लास और मधुर सा पर्व है ये।। हंसने से जिसके आ जाती है बहार। करे ऐसी लाडो से हर कोई प्यार।। प्रेमचमन के वो सुगंधित पुष्प, यूँ ही सदा महकती रहना। तेरे आँगन दीप जले सदा खुशियों का चिड़ियों सी आँगन में चहकती रहना। सबसे प्यारी,सबसे न्यारी,है ये हमारी छोटी बहना बहन ही नही,ये तो है सबसे अनमोल सा गहना।। तू स्वस्थ रहे,तू खुश रहे,यही दुआ है,जन्मदिन का उपहार। चल झट से करले,झोली भर ले,मन से कर ले जीजी स्वीकार।। आज भी जन्मदिन है तेरा, पर आज तूं धरा पर नहीं, गगन में करने लगी है वास। दैहिक रूप से भले ही न हो तूं, पर नहीं अछूता कोई भी अहसास।। अब तो ईश्वर से है बस यही एक  हम सबकी अरदास। मिले शांति तेरी दिव्य दिवंगत आत्मा को, दें ईश्वर तुझे अपने श्री चरणों में वास।।     स्नेह प्रेमचंद