Skip to main content

Posts

Showing posts with the label आत्मीय प्यारा सा बंधन है राखी

पर्व नहीं महापर्व है राखी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

पर्व ही नही महापर्व है राखी। रिश्तों के आटे को मिठास के पानी से गुंदती है राखी। सरसता,आत्मीयता,प्रेम और उल्लास को बरकरार रखती है राखी। राखी हर बहन को भाई का आशा भरा आश्वासन है,कि बहन माँ बाप के बाद भी तेरा पीहर तेरी भाभी और भाई से कायम है। राखी एक दूसरे के सुख और दुख में भागी होने का प्रतीक है। राखी पर्व है जुड़ाव का लगाव का,प्रेम का,स्नेह का,अनुराग का,विश्वास का,एक सुखद आभास का। राखी कच्चे धागे का एक ऐसा मजबूत बन्धन है जिसका अर्थ हर सहृदय व्यक्ति को पता होता है। राखी के दिन भाई बहन का मिलना इस बात का प्रतीक है कि जब ज़रूरत होगी तो हम साथ होंगे। राखी का यही अर्थ नही कि भाई ही हमेशा बहन के काम आए,यथासम्भव बहन भी भाई की सहायता करें। बहन से मिलने के लिए जो एक दिन भी नही निकाल सकते,वो इस पर्व के भाव को या तो समझते नही या समझना नही चाहते। उन पर क्रोध नही दया आती है कि इतने बड़े महापर्व को इतना साधारण कैसे समझ लेते हैं लोग।।