Thought on mother by sneh premchand July 26, 2020 आधी जागी, आधी सोई थकी दोपहरी जैसी माँ। कुछ न कुछ हर पल वो करती सब कुछ करने जैसी माँ। ममता के मटके को ममता के मनको से हर पल भरती जैसी माँ। चिमटा,बर्तन,झाड़ू,लत्ते धोती, कभी नही थी थकती माँ। Read more