नीले गगन के तले लगे हैं अन्नदाताओं के आशियाने। स्वेद से रक्त बहाने के,हैं इनके अगणित ही तराने।। संगठन में होती है शक्ति,है सत्य,नहीं कोई बहाने।। एक संग हो लिया दूजा,बड़ा कारवां ,चले काफिले ,इतिहास ही रच गए दीवाने ।। सफलता आज नहीं तो कल मिल ही जायेगी, सूरत ए हाल बता रहे हैं परवाने ।। स्नेह प्रेमचंद