बाज़ औकात मौत ,जिंदगी को कर देती है आसान। जीते जी ही तो जीवन में छिड़ा रहता है घमासान।। जाने वाले तो छोड़ यादों का कारवां, हौले से चले जाते हैं। पीछे रह जाते हैं जो बहुत ही अपने, ये अतीत की कतरनें बटोरे जाते हैं।। खुश ग्वार पल हैं पास जिसके,सच में है वही धनवान। बाज़ औकात मौत जिंदगी को कर देती है आसान।। स्नेह प्रेमचंद