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कभी सोचा ना था (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जिंदगी के सफर में यूं अचानक ही   रंगमंच से चली जाओगी *सोचा ना था* खुद मझधार में होकर भी औरों को साहिल का पता बताओगी *सोचा ना था** फर्श से अर्श तक के सफर में यूं कीर्तिमान बनाओगी *सोचा ना था* *उम्र छोटी पर कर्म बड़े* अपना यही परिचय बनाओगी *सोचा ना था* मधुर बोली और उत्तम व्यवहार से सबके दिलों पर राज करने वाली यूं एक दिन हौले से रुखसत हो जाएगी *सोचा ना था* अभाव का प्रभाव इतना गहरा होगा *सोचा ना था* दिल भी अच्छा दिमाग भी अच्छा बोली भी मीठी व्यवहार भी मधुर भगति भी गहरी,शक्ति भी अधिक करुणा भी चित में,विवेक मस्तिष्क में इतने सारे गुण किसी एक व्यक्ति में हो सकते हैं *सोचा ना था* प्रेम सुता प्रेम का पाठ पढ़ा गई सबको यूं एक दिन नजर नहीं आओगी *सोचा ना था* जमीन से फलक तक यूं छा जाओगी *सोचा ना था* घणी मावस में पूनम का चांद बन  जाएगी *सोचा ना था* हर अंजुमन की महफिल बनने वाली अंजु हर महफिल से यूं रुखसत हो जाएगी  सोचा ना था क्रम में सबसे छोटी पर कर्म में सबसे बड़ी बन जाएगी सोचा ना था