इस बार दिवाली पर मिठाई बेशक ना बांटे, पर बांटे सर्वत्र भरपूर मिठास। दीप तो जलाएं बेशक पर दिल जलाने का कभी न करें कोई प्रयास।। इस बार दीवाली पर हर चौखट पर उम्मीदों का दीप जलाएं,बुझ गए हैं चिराग जिन घरों के,उन्हें अपनेपन का करवाएं अहसास।। इस बार दीवाली पर खुशियों को फुलझडियां जलाएं, लौ पड़ गई है फीकी जिन दीपों की, उन दीपों में फिर घी डाल कर, पुनर्जन्म का करवाएं अहसास।। इस बार दीवाली पर मुलाकातें बेशक ना हों अपने प्रिय जनों से, पर अपनेपन का पनपता रहे मधुर एहसास ।। इस बार दीवाली पर बूढ़े मां बाप की लाठी बन जाते हैं,अरसे से जो नहीं बैठे संग उनके किसी दीवाली पर,इस बार उनकी चादर में बन फिर से छोटे सिमट जाते हैं।। इस बार दीवाली पर बूढ़ी मां से जिद करके पसंद की भाजी बनवाते हैं,अपने मलिन हाथों को पौंछ उसके आंचल से चित चैन सा पाते हैं।। इस बार दीवाली पर बचपन की यादों पर पड़ी धूलि को हटाते हैं,फिर सुनते हैं मां बाप से वही पुराने किस्से,उन्हें बहुत ही खास होने का अहसास करवाते हैं।। इस बार दिवाली पर अपने शौक एक तरफ रख, किसी की जरूरतें पूरा करने का करें सुखद आ...