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खास

हर उत्सव फिर बन जाता है खास जब अपनो की दौलत हो अपने पास।। एक ही आंगन की खुशबू होती हैं बुआ भतीजी,एक से ही पीहर के लिए उनके अहसास। एक ही चमन की होती हैं दोनो डाली, दोनो ही होती है खास।।

विरहनी आत्मा