माना रिश्ते तोडने नही चाहियें, पर जहां न हो कदर हमारी, कैसे उस रिश्ते को निभाया जाए एकतरफा रिश्ता नही चलता अधिक देर तक ये किस किस को कैसे समझाया जाए, प्यार लो,प्यार दो, सीधा सा ज़िन्दगी का ये समीकरण क्यों लोगों को समझ नही आता। जो देते है तवज्जो हमको, उनका ही साथ हमे नही भाता।।