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बेचैनी और सुकून

बेचैनी और सुकून एक दिन बेचैनी ने कहा सुकून से हो शांत से गहरे सागर तुम, थाह तुम्हारी किसी ने न पाई। मैं नदिया के भँवर के जैसी चंचल कोई शांत,सीधी, उलझी सी राह न दी मुझे कभी दिखाई। कहा सुकून ने बेचैनी से, होता है जहाँ मोह,काम,क्रोध और भौतिक सुखों को पाने की तीव्र लालसाएँ। तुम दौड़ी सी आ जाती हो वहाँ पर, ठहराव नही दिखाई देती तुम्हे राहें।। नही ज़रूरी मैं रहूं महलों में, मुझे तो फुटपाथ भी आ जाते हैं रास। पर तुम तो कहीं भी नही टिक पाती, पूरे ब्रह्मांड में तुम्हारा नही है वास।। जिस दिन तुम्हे जीवन की सही सोच समझ मे आएगी। विलय हो जाओगी तुम उस दिन मुझमे, बेचैनी सुकून बन जाएगी।।

साहिल और लहर

साहिल ने एक दिन कहा लहर से कहीं भी कर लो विचरण प्रिय तुम पर अंत में मेरे पास ही लौट कर है आना जग जानता है सारा है साहिल लहर का सदियों से दीवाना सुन साहिल की अभिव्यक्ति लहर ने कह दी मन की बात हे प्रीतम है मेरी मंज़िल साहिल दिन खिलते हैं तुझ से सजती तुझ से है रात और अधिक नही आता कहना मुझे भाता है साहिल आपका साथ

बैचैनी और सुकून

बेचैनी और सुकून एक दिन बेचैनी ने कहा सुकून से हो शांत से गहरे सागर तुम, थाह तुम्हारी किसी ने न पाई। मैं नदिया के भँवर के जैसी चंचल कोई शांत,सीधी, उलझी सी राह न दी मुझे कभी दिखाई। कहा सुकून ने बेचैनी से, होता है जहाँ मोह,काम,क्रोध और भौतिक सुखों को पाने की तीव्र लालसाएँ। तुम दौड़ी सी आ जाती हो वहाँ पर, ठहराव नही दिखाई देती तुम्हे राहें।। नही ज़रूरी मैं रहूं महलों में, मुझे तो फुटपाथ भी आ जाते हैं रास। पर तुम तो कहीं भी नही टिक पाती, पूरे ब्रह्मांड में तुम्हारा नही है वास।। जिस दिन तुम्हे जीवन की सही सोच समझ मे आएगी। विलय हो जाओगी तुम उस दिन मुझमे, बेचैनी सुकून बन जाएगी।।

बाबुल या चंदन

तर्क और आस्था

ek din tark ne kha aastha se,sabka malik ek h,kya isse sidh ker paaogi   mand mand muskaee aastha,phir phute uske mukh se yeh udgaar sunker reh gya tark bhonchhka,kiya ker jod aastha ko namaskaar aastha bholi thi,,,,bhav prabal ho ger manav man mein,to prabhu daude chle aate hein kasht ho ger uske priy bhagat ko koi.use apne uper late ehin shardha bhi h meri behna,h choli daman ka hum dono ka sath tumne khoee sari umr sidh karne mein hi,ant samay kya aaya tere hath nhi jawab tha tark ke paas koee,aastha ke samne kiya jhukna sweekar

हौले हौले

हौले हौले शनै शनै  एक दिन ये दिन आ ही जाता है। कार्य क्षेत्र से हो निवर्त व्यक्ति घर को आता है।। जिंदगी की इस आपाधापी में  पता ही नहीं चलता, कब ये समय बीत जाता है एक लंबा सा सफर हौले हौले  मंजिल को छूने आता है।। उतार चढ़ाव हैं दोनो ही जिंदगी के हिस्से,कभी उतार कभी चढ़ाव आता है। But show must go on इंसा समझ ही जाता है।। नाम के अनुरूप ही हो आप कुसुम मैडम,महका देती हो समा सारा। सच में महका दिया चमन आपने, व्यक्तित्व आपका है बहुत ही न्यारा।। हर काम किया सदा योजनाबद्ध तरीके से,आपके पदचिन्हों पर चलना हुआ ग्वारा।। संघर्षों से टूटी नहीं,खुद को संभाला फिर दिशा दी जीवन को नई, हंसते हंसते पी गई आप कष्टों की हाला।। किताब के गणित ही नहीं जीवन के गणित के समीकरणों को समझ कर बखूबी हल किया आपने, सच में आप ही परिधि,आप ही व्यास। यूं ही तो कुसुम मैडम आप नहीं हो इतनी खास।। बेशक विद्यालय के प्रांगण में आप नजर नहीं कल से आओगे, पर इतना तो दावे से कह सकती हूं मैं, आप जिक्र जेहन से कभी नहीं जाओगे।। जहां भी रहोगे,जो भी करोगे,सच में कुसुम सी महक जाओगे।। आप स्वस्थ रहो,आप खुश रहो, बस यही दु...

सुपुर्द ए खाक

सुपुर्द ए खाक