*कहते हैं आज *पृथ्वी दिवस* है, होता नहीं इस कथन पर विश्वास* कौन सा दिन है बिन धरा के??? *सच धरती है मां,पिता है आकाश* **सोचो,सुधारों,संवारो** अपनी धरा को, *और न हो अब पर्यावरण का ह्रास* *प्रदूषण गर फैला इसी गति से, होगा कैसे धरा पर जीवन का वास?? *जल,ध्वनि,वायु,भोजन सभी प्रदूषण हैं आज कुछ हद से आगे* कैसे रहे पर्यावरण शुद्ध हमारा?? *जब कर्तव्य कर्मों से हम सब हैं भागे* *सांझे से प्रयास हमारे, वातावरण को बना सकते हैं खास* *सोचो,सुधारो,संवारो * अपनी धरा को, और ना हो अब पर्यावरण का ह्रास।। *उस देश के वासी हैं हम, जहां धरती को माता कहते हैं* *फिर मां की कोख कैसे उजाड़ सकते हैं हम, हम तो मां के दिल में रहते हैं* मां का आंचल ना हो मैला, कोई करे भी तो हम क्यों मिल कर सहते हैं???? विचारो,लो प्रण ऐसा, *प्रकृति का हनन ना हमे आए रास* प्रदूषण गर फैला इसी गति से, कैसे होगा धरा पर जीवन का वास?? *आओ धरा का अस्तित्व बचाए* शुद्ध हवा में हर प्राणी ले पाए श्वास तेरी मेरी नहीं, है,ये सामूहिक जिम्मेदारी, *हो सबको इस का आभास* *कहीं लगाए त्रिवेणी* *कहीं औषधीय पौधो...