सच में महक ही रहे हो आप आज भी आपके अस्तित्व से ही तो अस्तित्व है हमारा सच में पिता है तो बाजार का हर खिलौना अपना है जाने सच्चाई जग सारा सामर्थ्य से अधिक किया आपने,कर्तव्य कर्मों से ना किया कभी किनारा आय बढ़ाओ बेहतरीन जीवन के लिए,ऐसी ही सोच को सदा विचारा वह तपती दोपहरी में गेहूं लेने जाना फिर भी पेशानी पर परेशानी ना लाना,आज वही पुराने किस्से दोहराते हैं एक बार भूले थे सब जन्मदिन आपका,अब तो हर 10 अप्रैल को आप याद आते हैं जब मात पिता बच्चों को गुण दोषों दोनों संग अपनाते हैं फिर हम बच्चे क्यों उन्हें सही गलत ठहराने के न्यायधीश बन जाते हैं जरा सोचिए