तूँ तुलसी की मानस है, है तूँ ही तो गीता का ज्ञान। तूँ ही ईसा की बाइबल है, और है तूँ ही तो पाक कुरान।। तू गुरु ग्रंथ साहिब है नानक का, है तूँ ही तीर्थ तूँ ही धाम।। सब जानते हैं एक ही है वो, है, सिर्फ माँ ही उसका निर्मल नाम।। तूं एहसासों की जननी है, है तूं ही अभिव्यक्ति का वरदान।। तूं सबसे मधुर संगीत है जीवन का, क्या क्या करूं तेरा गुणगान।। किस माटी से बना दिया ईश्वर ने तुझ को, कर निर्माण तेरा खुद ही हो गया होगा हैरान।। तूं धैर्य का सागर है, ममता का तुझे मिला वरदान। तूं सर्वोत्तम शिक्षक है जीवन की, सच में मां तूं बड़ी महान।। हमे हम से भी अधिक जानने वाली, पूरा जग है तेरा कद्रदान।। और परिचय क्या दूं तेरा, सच में है तूं गुणों की खान।। मैने भगवान को तो नहीं देखा, पर जब जब देखा तेरी ओर, साक्षात नजर आ गए भगवान।। तूं सबसे अनमोल खजाना जीवन का, रहता है जो तेरे साए तले, होता वो सबसे धनवान।। शिक्षा भी तूं,संस्कार भी तूं, पर्व,उत्सव,जिजीविषा,उल्लास है तूं, ख्वाबों की हकीकत है तूं, कर्मठता बनी रही तेरा परिधान।। समय रहते जान नहीं पाते तुझे हम सच में रह जाते हैं नादान।। कहती नहीं,तूं करती है...