Respected everyone, आज हम सब यहां पर डॉ अंजु कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित हुए हैं।सर्वप्रथम मैं चंद पंक्तियों में यह श्रद्धांजलि अंजु की दिव्य दिवंगत आत्मा को समर्पित करती हूं।। *करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास* मिले शांति दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास। माटी मिल गई माटी में, दें निज धाम में प्रभु अब उनको वास ।। कब *है* बदल जाता है *था* में, हो ही नहीं पाता विश्वास।। नहीं जानते हम कब आ जाए शाम जीवन की, कौन सी हो हमारी अंतिम श्वास।। हे ईश्वर! शक्ति देना शोक संतप्त परिवार और समस्त परिजनों को, है,कर देना पूरी ये आस।। ये कौन गया है महफिल से??? जर्रा जर्रा लगने लगा है उदास। फिज़ा भी आज है नम नम सी, है जाने वाला बहुत ही खास।। और अंजु से खास सच में कौन हो सकता है??? निशब्द हूं,हैरान हूं,परेशान हूं, अवरुद्ध कंठ में एक बड़ा सा गोला अटक गया है। नयन सजल,धुआं धुआं सा मन,सीने में जलन, जैसे अपनी राह से ,कोई राही भटक गया है।। हम सात भाई-बहनों में सबसे छोटी, सबसे प्यारी, सबसे न्यारी,अंजु...