मां बाप के साथ रहते हुए, जो औलाद उनसे दूर दूर रहती हैं। वार्तालाप न के बराबर करती हैं, वो तो कुआँ पास होने पर भी हैं प्यासे के समान। क्यों नही समझते जिन्होंने कराया था उन्हें शब्दज्ञान, उनसे ही बातचीत करना उन्हें क्यों करता है परेशान।। स्नेहप्रेमचन्द