प्रेम जब होता है जब किसी की उपस्थिति हमें आनन्दित करे, जब हम कुछ लेने की बजाय दे कर खुश हों, जब होता है जब दूर रह कर भी पास होने का अहसास बना रहता हो, जब भीड़ में भी वो खास लगे, जब मिलन की आस सदा बरकरार रहे, जब मुलाकात ही उसका आधार न हों, जब ज़ज़्बात की बारात निकले।। स्नेहप्रेमचंद