परिणय की इस मंगल बेला पर कर लेना हमारी दुआएं स्वीकार। यही राज है चारु चितवन का, प्रेम ही इस रिश्ते का आधार।। यथार्थ यही है इस जीवन का, स्नेह ही होता है सच्चा श्रृंगार।। सुमन खिले सदा अंगना तुम्हारे, हो सुख,समृद्धि और सफलता के दीदार।। स्नेह प्रेमचंद