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परिणय की मंगल बेला पर(( दुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*परिणय की मंगल बेला पर कर लेना हमारी दुआएं स्वीकार* *एक नए अध्याय के आरंभ का प्रारंभ हुआ है आज,  दें खुशियां सदा दस्तक आप के द्वार*   *मन मलिन न हों,  राहें जटिल ना हों न हो चित में कोई द्वेष, ईर्ष्या और अहंकार* *कुछ करना दरगुजर, कुछ करना दरकिनार* *यही मूलमंत्र है  सुखद दांपत्य जीवन का, प्रेम ही इस नाते का आधार* *खून का नहीं है ये नाता विश्वाश,समझ,समर्पण और स्नेह का, रहे जिंदगी आपकी सदा गुलजार* *मतभेद बेशक हो जाएं, पर मनभेद की कभी ना चिनना दीवार* *मयंक और महक की  जोड़ी सदा बनी रहे, महक की महक से महके  सदा पूरा बंसल  परिवार* *बेटी से भी अधिक स्नेह  मिलेगा महक आपको, रहे ध्यान बस एक ही माला में मोतियों सा जुड़ा रहे परिवार* *प्रेम के धागे जुड़े रहें, हों चित में पल्लवित संस्कार* *प्रेम से पहले आता सम्मान है पनपे ना चित में कोई विकार* *अपने बड़ों की दुआओं से  शुरुआत हुई है नए जीवन की, अनुराग का सदा होता रहे संचार* *जिंदगी के सफर में जब मिल जाता है हमसफर, सफर हो जाता है खुशगवार* *परवाह बताती है प्रेम कितना है, सुखद वर्तमान और उज्जवल भवि...

परिणय की इस मंगल बेला पर(( दुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

परिणय की इस मंगल बेला पर(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))