कर जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास, चार बरस आज बीत गए, आज ही के दिन प्रभु ने निज धाम में दिया था माँ को वास, तन बेशक नही है बीच हमारे, पर दैदीप्यमान है हर अहसास, मा का नाता था,है,रहेगा जग में सबसे खास।। माँ से न कोई हुआ है,न कोई होगा, चाहे करलो कितने ही प्रयास, यूँ ही तो माँ को जग में कहा जाता है अति खास।। कर्मों की स्याही से सफलता का ग्रंथ मां तूने सच मे रच डाला, अहसासों में सदा रहेगी तूँ, तूने कैसे कैसे होगा हम सबको पाला, माँ तूँ दिनकर हम जुगुनू हैं, हम तन तो तूँ है श्वास, सच मे तूँ है नही जग में, होता ही नही ये आभास।। माँ तूँ ऐसी पावन गंगा, गंगोत्री से गंगासागर तक किया अदभुत सफर। मेहनत का ऐसा बजाय शंखनाद, आनेवाली पीढ़ियां भी करेंगी कदर।। तूँ कहीं नही गई हमारे अहसासों में होता है तेरा अहसास, सोच,कर्म,कार्यशैली में तूँ है, लगता हरदम रहती है पास।। कर जोड़ हम कर रहे परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। पंखों की परवाज़ बनी तूं, हर गीत का सुंदर सा...