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Showing posts with the label करुणा

हर भाव का इजहार

रामायण

ममता(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मैने पूछा करुणा से कौन है माता और कौन है पिता तुम्हारे करुणा ने कहा मुस्कुरा कर स्नेह है माता और तात है सुसंस्कार हमारे

मां जाई(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मधुर सी शहनाई चारों की चारों मां जाई एक ही परिवेश एक ही परवरिश एक मोड़ पर मिलती है जुदाई फिर सबकी अपनी मंजिल अपना सफर,किस्मत अलग अलग ही पाई

प्रेम

प्रेम

प्रेम

धर्म

प्रेम

प्रेम और करुणा विवाह के सूत्र में बंध गए,उनके जो संतान हुई ,जानिए,पुत्र हुए--सौहार्द,विनय,सहज,भाईचारा,अनुराग,सब बड़े प्यार से संग संग रहते थे,आज भी साथ ही रह रहे हैं। पुत्रियाँ हुई---स्नेह,दया,संतोष,विनम्रता,सहनशीलता,आज भी सारे भी बहन एक ही छत के नीचे अपने माता पिता की शीतल छाया में प्रेमनिवास में रहते हैं।

प्रेम

जब भी करते हैं मांसाहार

जब भी गोता लगाया

सबसे सुंदर

दामन करुणा का

ख्याल

तुम को देख तो ये ख्याल आया। करुणा की गंगोत्री से स्नेह की गंगा को बहाया।।