टीचर का काम मात्र शिक्षित करना ही नहीं है,शिक्षक का काम छात्र मन में जिज्ञासा का पैदा करना भी है।अधिक आई क्यू वाले छात्रों को प्रथम स्थान पर लाने से,शिक्षक की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती,उसकी जिम्मेदारी तो कक्षा में सबसे पिछड़े हुए छात्रों को मुख्य धारा से जोड़ने तक रहती है।सबको साथ लेकर जो चले, वही सही मायने में शिक्षक है।सबसे बड़ा काम है शिक्षक का, बाल मन में जिम्मेदारी और नैतिक भावना को जन्म देना।अक्षर ज्ञान करवा कर,फार्मूले याद करवा के,परीक्षा में अच्छे अंक आने मात्र से एक शिक्षक के कर्तव्य की इति श्री नहीं होती, सर्वप्रथम तो बच्चों के हृदय में, सांझा करने की प्रवृत्ति का विकास करे,उसके संशयों का बिना किसी भय को पैदा कर निवारण करे, सामूहिकता पर बल दे, पढ़ाने के तरीके को ज्ञानवर्धक बनाने के साथ-साथ रुचि वर्धक भी बनाए।अपने ज्ञान की भी सतत बढ़ोतरी करे,सहजता के अंकुर प्रस्फुटित करे। शिक्षा के भाल पर जब तक सुसंस्कारों का टीका नहीं लगता,तब तक उस शिक्षा का कोई औचित्य नहीं।उच्च शिक्षा प्राप्त कर,विदेशों में कार्यरत बच्चों के माता-पिता जब अपने ही वतन में वृद्धाश्रम की शरण लेते हैं तब उस ...