माँ ये करती थी,माँ वो करती थी,ऐसी थी माँ,वैसी थी माँ,यह तो है एक लंबी कहानी,हम ने क्या किया,हम क्या कर सकते थे,हम क्या करेंगे,नज़र तो है अब इस पर दौड़ानी,कुछ दर्द उधारे लेकर किसी के,सरल कर सकते हैं किसी ज़रूरतमन्द की ,जिंदगानी,यही श्रदांजलि होगी माँ को सच्ची,हो बेहतर हम ने हो जानी