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त्रिवेणी

सुनसान

रुझान था तेरा

साहित्य,संगीत, कला के प्रति रहा सदा तेरा विशेष रुझान। रौनक ए अंजुमन कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी कोई, तूं कुदरत का धरा पर अनमोल वरदान।। धन्य हो जाती है लेखनी जब तुझ पर चलती है,रहे ने कोई तेरी शख्शियत से अनजान।।

संजीवनी बूटी

Thought on lord krishna by sneh premchand

अपने भाग्य को आप ही लिखने की कला कान्हा ने जग को सिखाई है। कृष्ण अपने भाग्य के थे स्वयम ही भाग्यविधाता,ये बात धीरे धीरे सब को समझ मे आयी है। कारावास में जन्मने वाले ने गीता विश्व को सुनाई है। प्रकृति,समय और कर्म के तमाम सिद्धान्तों पर अपना मुकाम पाने वाली की बांसुरी ने मोहक तान बजाई है।

दरकिनार thought by snehpremchand

कला को शब्दों की ज़रूरत सदा ही तो नही होती, कौन चित्रकार है ये अलबेला,पिरो देता है जो माला में मोती।।