साहित्य,संगीत, कला के प्रति रहा सदा तेरा विशेष रुझान। रौनक ए अंजुमन कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी कोई, तूं कुदरत का धरा पर अनमोल वरदान।। धन्य हो जाती है लेखनी जब तुझ पर चलती है,रहे ने कोई तेरी शख्शियत से अनजान।।
अपने भाग्य को आप ही लिखने की कला कान्हा ने जग को सिखाई है। कृष्ण अपने भाग्य के थे स्वयम ही भाग्यविधाता,ये बात धीरे धीरे सब को समझ मे आयी है। कारावास में जन्मने वाले ने गीता विश्व को सुनाई है। प्रकृति,समय और कर्म के तमाम सिद्धान्तों पर अपना मुकाम पाने वाली की बांसुरी ने मोहक तान बजाई है।