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Poem on Friends वही मित्र हैं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*कह सकें हम जिनसे बात दिल की, वही मित्र हैं" *रिजेक्ट नहीं जो करेक्ट करने में विश्वाश रखते हैं, वही मित्र हैं* *खामोशी की जो समझ लें जुबान, वही मित्र हैं* *हमारी मुस्कान के पीछे छिपी उदासी जो देख लें,वही मित्र हैं* *जीवन की किसी भी चक्रव्यूह से जो हमे बाहर ले आएं,वही मित्र हैं* जीवन में जो रस घोल दे  सत्य को जो मुख पर बोल दे अधरों पर जो ला दे मुस्कान सच में होते मित्र हमारी जान जो जीने का अंदाज सिखा दें सूने जीवन में संगीत का साज बजा दें,वही मित्र हैं *तपते मरूधर में जो बन जाएं हरियाली,वही मित्र हैं* *मावस को भी जो बना दें पूनम वही मित्र हैं* *हर धूप छांव में जो संग खड़े हों, वही मित्र हैं* *जिनके संग वक्त गुजरने का पता ही नहीं चलता,वही मित्र हैं* *जीवन के पतझड़ को जो बसंत बनाने का विश्वाश दिला दें,वही मित्र हैं* *जिजीविषा,ऊर्जा,उल्लास का जिनके संग होने लगता संचार हैं,वही मित्र हैं* *आहत मन पर जो बन जाते हैं राहत   वही मित्र हैं* हर वो लम्हा बन जाता है होली दिवाली जब मित्र आपस में मिलते हैं ऐसा लगता है जैसे मरूधर में स्नेह सुमन खिलते हैं मित्र के इत्र से महकता है चरित्र मित्र ...

वही मित्र हैं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 राघव ने सुग्रीव से, माधव ने सुदामा से सच्ची मित्रता निभाई जब जब हुआ जिक्र दोस्ती का, दोनों की दिल से याद आई  *कह सकें हम जिनसे बात दिल की,वही मित्र हैं* स्नेह,सम्मान और स्थान जिन्हें देना आए,वही मित्र हैं *खामोशी की जो समझ लें जुबान, वही मित्र हैं* *हमारी जगह जो खुद को रख कर सोच सकें,वही मित्र हैं* *हर धूप छांव में जो संग खड़े हों, वही मित्र हैं* *जो हर राज़ का हो राजदार वही मित्र है* *स्नेह,सम्मान और स्पेस जिन्हें एक दूजे को देना आए,वही मित्र हैं* *मतभेद बेशक हो जाए पर मनभेद ना हो,वही मित्र हैं* *निरस्त न करके जो दुरुस्त कर दें, वही मित्र हैं*  *सलाह,सुलह,समर्पण की नींव पर बसा हो जो रिश्ता,वही मित्र हैं* *संवाद और संबोधन हो मधुर जिनका,वही मित्र हैं* *मजाक और कटाक्ष के मध्य की महीन रेखा का जो ध्यान रखें, वही मित्र हैं* *बिन किसी पूर्वाग्रह के जो किसी भी मसले पर निष्पक्ष राय रखें, वही मित्र हैं* *गलत को गलत और सही को जो सही कह सकें वही मित्र हैं* *हमारे गलत और बहकते कदमों को जो रोक सकें, सही राह पर ले जाएं,वही मित्र हैं* *विकारों का शमन और सद्गुणों का जो कर दे...