नदिया सागर thought by sneh premchand August 21, 2020 एक रूप है,काम अनेक हैं, है ऐसी नदिया और सागर की कहानी। वो चलती रहती है,रुकती नही है, सागर ने ताउम्र आगे न बढ़ने की है ठानी। पानी वही है,ज़िंदगानी अलग है, बहती नदिया है दीवानी। सागर शांत है,गहरा है, जाने क्या क्या अपने समाये हुआ है उसका चेहरा नूरानी। Read more
कवर पेज June 20, 2020 किसी भी किताब का कवर पेज यह नही बता सकता कि किताब के अंदर क्या लिखा है,ऐसी ही ज़िन्दगी है।। Read more