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नदिया सागर

रंगों से भरा तेरा जीवन

राम से मर्यादा पुरषोत्तम राम

हर चेहरा कुछ कहता है

राम से मर्यादा पुरषोत्तम राम

रिटर्न टिकट

गंगोत्री से गंगा सागर तक

पहेली

ज़िन्दगी

गंगोत्री से गंगासागर तक (thought by Sneh premchand)

गंगोत्री से गंगासागर तक( Thought by Sneh Prem Chand)

कहानी

अनमोल घड़ी

अनमोल घड़ी

अनमोल घड़ी

अनमोल घड़ी

नदिया सागर thought by sneh premchand

एक रूप है,काम अनेक हैं, है ऐसी नदिया और सागर की कहानी। वो चलती रहती है,रुकती नही है, सागर ने ताउम्र आगे न बढ़ने की है ठानी। पानी वही है,ज़िंदगानी अलग है, बहती नदिया है दीवानी। सागर शांत है,गहरा है, जाने क्या क्या अपने समाये हुआ है  उसका चेहरा नूरानी।

कवर पेज

किसी भी किताब का कवर पेज यह नही बता सकता कि किताब के अंदर क्या लिखा है,ऐसी ही ज़िन्दगी है।।