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ओ री सखी

सखी  ओ री सखी तेरे अनुभव हमको  कितना कुछ यूं सिखा गये,  कब है चलना और है थमना अनजाने ही बता गये।  तेरी पारखी नजरों से  कितना कुछ हमने जान लिया,  दुनिया के रंग रूप अलग संग तेरे पहचान लिया।  सरल,सहज और दयावान जो करुण ह्रदय और भावप्रधान जो सावित्री-प्रेम का रखे मान जो मात-पिता का करे गान जो।  ऐसी सखी है हमने पायी प्रेमवचन जो लेकर आयी,  मनोविचार कहे ओ री सखी सुन चहुँ ओर तेरी शीतलता है छायी हम तो हैं तेरी परछाई,तुझसे हमने प्रीत लगाई।