माँ एक ऐसी किताब है जिसका हर पन्ना आसानी से समझ आ जाता है। माँ ऐसी कविता है, जो सब गा सकते हैं। माँ ऐसी कहानी है, जो रोचक ,ममतापूर्ण सम्पूर्ण और सारगर्भित है।। माँ एक ऐसा पाठ है, जो ज़िन्दगी की पाठशाला में सबसे पहले पढते हैं, और ताउम्र चलता है। माँ ऐसा साहित्य है, जिसके आदित्य की रोशनी से सारा जग नहाया है। जिसे पूरा संसार पढ़ता है जो हर युग,हर काल मे प्रासंगिक है। यह साहित्य समयातीत है। हर युग हर काल हर स्थान पर प्रासंगिक है।। जैसे सागर की कोई सरहद सीमा नहीं, उसकी गहराई नापने का कोई पैमाना नहीं,ऐसी ही तो मां है।। मां रामायण की वो चौपाई है जिसे जितना पढ़ो,अर्थ और गहरा ही जाता है।। मां ममता का वो प्रतिबिंब है जो मात्र स्नेह का अक्स ही दिखात है। ।