उठ लेखनी आज कुछ ऐसा काम करेंगे। भूखे सोते हैं जो मासूम,लोगों से उनके लिए कुछ करने को कहेंगे। किसी को सूखी रोटी भी नही है मयस्सर,कोई छपन भोग लगाता है।क्यों इतनी विषमता भरा है ये जग,क्यों इंसा आधी आधी रोटी नही खाता है। बहुत सो लिए,अब तो जाग लो, हर समर्थ एक निर्बल का हाथ थाम लो,यही होगा सच्चा बैंक बैलेंस तुम्हारा,कर्म ऐसेतुम्हारी रिटर्न भरेंगे।