हों रंग जीवन में सबके, सजी रहे सदा खुशियों की रंगोली। सांझे सुख और सांझें सुख हों, हों संग में ही दीवाली और होली।। दर्द उधारे लेने आएं, फैलानी न पड़े कभी किसी को झोली।। कटाक्ष न करे कोई किसी पर, बोलें जग में सब आपस में मीठी बोली।। स्नेह प्रेमचंद