उपहार मात्र होता नहीं केवल उपहार। जाने कितने ही एहसासों का होता है सुंदर सा हार।। जाने कितनी ही मधुर यादों को कर देता है झंकृत, जाने कितने ही अदभुत लम्हों का सुनहरी यादों से कर देता है श्रृंगार।। मैं न भूलूंगी, मैं न भूलूंगी, मिठास इस केक की, जेहन में रहेगी ताउम्र बरकरार।। कुछ एहसासों के लिए अल्फ़ाज़ पड़ जाते हैं छोटे, भावों को हर बार सही से मिल नहीं पाता इज़हार।। प्रेम मापने का बना ही नहीं कोई ऐसा पैमाना, जो बता पाती, है, कितना ओ बहना है,तुझ से प्यार।। लगती है तुझे चोट वहां,मुझे दर्द यहां पर होता है। हर मंज़र हो जाता है धुंधला,अवरुद्ध कंठ कुछ कहने को रोता है।। एक दुआ यही है रब से,तुझे फूलों को छांव मिले, तेरे घर आंगन में हो सदा सुख शांति, सहजता तेरे सजदे मे खिले।। स्नेह प्रेमचंद