तूँ तुलसी की मानस है, है तूँ ही तो गीता का ज्ञान। तूँ ईसा की बाइबल है है तूँ ही तो मां, पाक कुरान।। तू गुरु ग्रंथ साहिब, है नानक का, है तूँ ही तीर्थ,तूँ ही धाम।।। सबसे प्यारा संबोधन मां, सबसे न्यारा उद्बोधन मां, मां करती है हमारा कल्याण।। सब जानते हैं एक ही है वो, सिर्फ और सिर्फ मां उसका नाम।।। मां जीवन की पहली शिक्षक, पहली मित्र,पहली चेतना पहला स्पर्श और पहला ज्ञान।।। आत्म साक्षात्कार,आत्म मंथन,आत्मबोध और आत्म सुधार। सबसे रूबरू कराती है मां, दिलोदिमाग में करुणा, विवेक का करती संचार।। आधार स्तम्भ जीवन का मां, मां के अस्तित्व से ही,हमारे वजूद को मिली पहचान।।। मातृ ऋण से उऋण नहीं हो सकते कभी, नहीं दे सकता कोई, मां सा बलिदान।। हमारे सुनहरे मुस्तकबिल के लिए, समय समय पर करती सावधान।।। मां से बेहतर तो जान ही नहीं सकता, कोई,कहीं,कभी भी बाल मनोविज्ञान।। कभी नहीं रुकती,कभी नहीं थकती, क्रियाकलापों को नहीं देती कभी विराम।।। तरुवर की छाया है मां,सबसे शीतल साया है मां, मां सबसे अनमोल प्रतिष्ठान।। लय, गति,ताल से सब करती है तूं, आने नहीं देती कोई व्यवधान...