*खुशी कभी नहीं मिलती बाहर से, खुशी है अंतर्मन का एहसास* * कोई तो कुटिया में भी खुश है किसी को महल भी नहीं आते रास* *शुक्रिया*या *शिकायत* दोनों में हम जिसका भी करते हैं इंतखाब खुशी और गम का इनसे ही होता है सरल सीधा स्पष्ट हिसाब * शुक्रिया* है सच्चा मित्र खुशी का, *शिकायत* है गम की साकी *जिसने समझ ली बात यह सच्ची अधिक समझना नहीं रहता बाकी* *खुशी लेने में नहीं देने में है ले कर तो देखो किसी के दर्द उधारे* *खुशी दे देगी दस्तक जिंदगी की चौखट पर सांझ सकारे* **खुशी महलों में ही होती तो बुद्ध जंगल में ना जाते खुशी मनमानी में होती तो राम पिता वचन कभी ना निभाते*" खुशी *उमंग* है *उत्सव* है और खुशी का दूजा नाम है *उल्लास* *खुश व्यक्ति आम नहीं रहता सच में बन जाता है अति खास* *मलिन मनों से हट जाते हैं जब धुंध कुहासे, लोग इर्षा और विषाद* * बिन बुलाए खुशी आ जाती है ऐसे बहती है जैसे कोई नदिया निर्बाध** *मुफ्त में ही मिलती है खुशी खुशी का नहीं होता कोई मोल* * मन झट से प्रसन्न हो जाता है बोलता है जब कोई मधुर से ब...