Skip to main content

Posts

Showing posts with the label कोई माधव नहीं आएंगे

उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो

उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो, अब माधव नहीं आएंगे। तन संग जो मन हुआ है आहत, कोई मरहम नहीं लाएंगे।। बहुत शोक हुआ संताप हुआ,  अब खुद को बदलने की आ गई है बारी। पुरुष प्रधान इस निष्ठुर समाज में,  यूं कब तक होगा दमन? अब शोला बन जाए चिनगारी।। कड़छी नहीं अब खड़ग संभालो, फिर आलम सारे बदल जाएंगे। गुरेज करो,इस अन्याय से अब, हकूक सारे तुमको मिल जाएंगे।। उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो, अब माधव नहीं आएंगे।। दमन हो अब दुशासन का,  तन मन के दुर्योधन को भी जलाएंगे। नेत्रहीन धृतराष्ट्र के नेत्र तो अब  सब मिल कर खुलवाएंगे। उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो, अब माधव नहीं आएंगे।। नहीं चलेगा अब भीष्म मौन, आवाज़ जन जन तक पहुंचाएंगे। भरी सभा मे फिर n लूटे कोई द्रौपदी, ऐसी सभा बनाएंगे।। कोमल है नारी पर कमजोर नहीं, जन जन को समझाएंगे।। कतरा ए शबनम होती हैं बेटियां अपने आंगन की,इन्हे जलता अंगारा नहीं बनाएंगे। महफूज़ रहें ये इस समाज में, ऐसा समाज बनाएंगे।। बहुत हो गया अब और नहीं, अब इतिहास नहीं दोहराएंगे।। हर कली कोंपल खिले सुमन से, कोई रौंधे न चमन कोई, ऐसा माहौल बनाएंगे।। दो सम्मान नारी को बंधुओं मलिन मनों स...