लुटा बचपन *लुटा हुआ मासूम बचपन जब कोने में सिमटकर रोता है रूह कांप उठती है सीने में शूल सा चुभता है* *गली, मोहल्ले, हर घर में छिपे हुए हैं गुनहगार हर उम्र, हर रिश्ता हो गया है दागदार* *मासूमों पर वार किया इनके ही पहरेदारों ने विश्वास है इनका तोड दिया खुद इनके पालनहारों ने* *भय बसता उन आँखों में जहाँ सपनों की होनी थी फुलवारी चीत्कार है गूंज रहा जहाँ बस होनी थी किलकारी* *स्वार्थ और हवस की दुनिया किस दिशा हमें ले जायेगी?? कल को कुचला आज है इसने कैसा भविष्य यह पायेगी?? *महफूज रखो नन्हे फरिश्तों को ये ही तो हमारे उजाले हैं सहेज लो इस बचपन को ये ही कल के रखवाले हैं* *खुद लांघो ना ही लांघने दो मर्यादा जो हमारी है किसी एक का काम नहीं यह तो सांझी जिम्मेदारी है*