माँ बाप की प्रॉपर्टी पर तो हमारा पूरा अख्तियार होता है, पर उनकी ज़िम्मेदारियों पर नहीं।।क्यों??????, माँ बाप से हम इसरार कर अपनी सारी मन की बातें मनवा लेते हैं पर उनके मन की जानने को कभी कोई खास तवज्जो नहीं देते।क्यों????? हमें संस्कार की शिक्षा देने वाले माँ बाप के लिए हमारे संस्कार कहाँ चले जाते हैं??? मात पिता बच्चों के इंतज़ार में आधे जागे,आधे सोये रहते हैं,कभी इज़हार ए मोहब्बत नहीं करते,मगर ताउम्र मोहब्बत करते हैं,हम कभी आगे बढ़ कर उन्हें कहते क्यों नहीं???? हमें हर सुख सुविधा मयस्सर हो,इसके लिए जाने अपनी कितनी ही ख्वाइशें ज़मीदोज़ करने वाले मात पिता कितनी शारीरिक और जेहनी मशक्कत से हमारी तरबीयत करते हैं,हमें इसका इल्म भी नहीं होता।क्यों???? मात पिता कभी शर्तों पर प्रेम नहीं करते,हर हाल में,हर मोड़ पर आजीवन प्रेम करते है। बच्चे तो प्रोपर्टी के आधार पर करते हैं।क्यों????? हमें खाने में क्या अच्छा लगता है,हमारा कौन सा पसन्दीदा रंग है,हमें किन बातों से खुशी मिलती है,इन सब बातों की लंबी से फेरहिस्त सदा अपने जेहन में रखने वाले माँ बाप को क्या पसन्द है क्या नहीं...