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कौन कहता है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कौन कहता है इंसान खाली जाता है???????????????????????? जाने कितने मलाल,कितने सवाल, कितनी उपेक्षा,कितनी पीड़ा,कितनी ही कहानियां अपने साथ ले जाता है जीवन के इस अग्निपथ पर मात्र मात पिता को ही मरहम बनाना आता है बाज औकात तो इंसान अपनी हर बात मात पिता से भी सांझा नहीं कर पाता है हर अर्जुन को लड़ना पड़ता है अपना ही महाभारत, हर व्यक्ति को तो कृष्ण सा सारथी भी नहीं मिल पाता है कई बार सब कुछ होते हुए भी फंस जाता है अभिमन्यु सा किसी ना किसी चक्रव्यूह में, वक्त मौत का शंखनाद बजाता है कौन कहता है इंसान जग से खाली हाथ जाता है???????????????? सच में जिंदगी का सफर कैसा है सफर सोचने पर मजबूर सा हो जाता है कई बार कर्म कई बार भाग्य मुखर हो जाता है क्या छिपा वक्त के पन्नों में, इंसा समझ नहीं पाता है बहता रहता है तिनका सा वक्त की लहरों के आगे, लम्हा लम्हा यूं हीं खिसकता जाता है।।

कौन कहता है