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खुशी नहीं मिलती बाहर से(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*खुशी नहीं मिलती बाहर से खुशी है भीतर का अहसास* *कोई तो कुटिया में भी खुश है किसी को महल भी नहीं आते रास* "सकारात्मक सोच से ही जीवन मे आती हैं खुशियां और उल्लास* *लेने में नहीं देने में मिलती है सच्ची खुशी, बस निर्मलता का हो चित में वास* *एक बात बस रहे जेहन में प्रलाप से बेहतर सदा ही होते हैं प्रयास*

खुशी नहीं मिलती बाहर से

खुशी नहीं मिलती बाहर से, खुशी है भीतर का अहसास। कोई तो कुटिया में भी खुश है, किसी को महल भी नहीं आते रास।। मन रहे सदा नियंत्रण में, मन का रिमोट कंट्रोल होता है हमारे ही पास। खुशी किसी हाट या बाजार में कोई मोल दे कर नहीं मिलती, सादगी खुशी की सबसे सहेली है खास।। एकदम फ्री में मिलती है खुशी, खुशी से उम्दा नहीं होता कोई अहसास।। लेने में नहीं देने में मिलती है खुशी, निर्मल चित में करती आवास।। महंगा फोन और बड़ी गाड़ी जैसी भौतिक वस्तुएं खुशी नहीं दे सकती, खुशी का तो अंतर्मन के गलियारों में  होता है वास। अधैर्य, क्रोध,गुस्सा, चिड़चिड़ापन हर विकार पर विजय हम पा सकते हैं, मन में जब प्रबल होगी प्रेम भावना और करुणा का जब नहीं होगा ह्रास।। अपनी जिंदगी की बैट्री को फुल चार्ज रखना है हमें,  ताकि चित में हो शांति का वास। पुरानी बातें और बुरे संस्कारों को पूर्णतया डिलीट करना हमे आए रास।। जैसे मोबाइल बैट्री सही रखने के लिए फालतू की अप्लीकेशन और डाटा डिलीट करने का होता है प्रावधान। ऐसे ही पुरानी बातें और बुरे संस्कार हटा दिलो दिमाग से हो जाएं सावधान।। मन का रिमोट हो बेहतर हो गर अपने ही प...

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