हलाहल। thought by sneh premchand April 19, 2020 पी लो फिर से हलाहल, भोले, घ नन घ नन।। हर लो पीड़ा जग की, फिर से, स नन स नन।। कर रहा प्रार्थना जग पूरा,करे नमन, नमन।। सत्यम,शिवम,सुंदरम,करो पीड़ा का हनन हनन।। हो सुख कर्ता और दुख हर्ता,करो दुख का हरण हरण।। स्नेहप्रेमचंद Read more